राजस्थान में सतीश-आशा से युवा लें प्रेरणा, मूक-बधिर भाई-बहन को एक साथ मिली कामयाबी

नई दिल्ली: परिश्रम और कामयाबी का रिश्ता बेहद पुराना है। बाधा कोई भी हो लेकिन अगर परिश्रम जारी रखा जाए तो कामयाबी जरूर मिलती है। राजस्थान में दो भाई-बहनों ने अपने काम से नाम कमाया है। उन्होंने अपने दृढ़ इरादों से कमजोरी को भी पीछे छोड़ दिया।

राजस्थान के नैनवां के देई निवासी दो भाई-बहन बचपन से ही मूक-बधिर हैं। दोनों की आवाज कभी किसी ने नहीं सुनी लेकिन भाई-बहनों की कामयाबी पूरे क्षेश में तेज से शोर मचा रही है। दोनों हाल में कनिष्ठ सहायक के पद पर नियुक्त हुए हैं। दिव्यांग भाई सतीश जैन को नैनवां पंचायत समिति में तो बहन आशा जैन को तालेड़ा पंचायत समिति में कनिष्ठ सहायक के पद पर नियुक्ति मिली है।

देई निवासी महावीर जैन और सुलोचना चार बच्चों के माता-पिता है। सभी 4 बच्चे मूक बधिर हैं। परिवार को भले ही इस वजह से सैंकड़ो परेशानी हुई होंगी लेकिन आज सतीश और आशान ने परिवार का नाम रौशन कर दिया है। दोनों की कामयाबी गांव की आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। महावीर जैन कपड़े का व्यापार करते हैं।

बच्चों की कामयाबी पर पिता को गर्व है। उन्होंने बताया कि दिवाली से दो दिन पूर्व ही दोनों ने कार्यभार संभाला है। सतीश (37) ने एमए बीएड के साथ कम्प्यूटर की शिक्षा ली है और आशा (39) ने बीए बीएड किया है। दोनों ने सामान्य कॉलेज से ही शिक्षा हासिल की है। ये महावीर जैन ने बताया कि सतीश और आशा से बड़ी दो बेटियां सरस्वती और आध्यात्मा भी मूक-बधिर हैंय़ चारों ही संतानों ने मूक-बधिर होने के बाद भी वह अपने बच्चों को हमेशा पढ़ाना चाहते थे। बच्चों ने भी केवल पढ़ाई पर ध्यान दिया और काबिल बनें हैं।

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