राजस्थान की सुनिता ISRO में वैज्ञानिक, चंद्रयान-3 के लैंडर सेंसर को बनाने में योगदान दिया
नई दिल्ली: 23 अगस्त को भारत ने चंद्रमा पर एक नई कामयाबी हासिल की थी। 23 अगस्त को चंद्रयान 3 ने चांद के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिग की। इसके बाद से पूरा देश वैज्ञानिकों को सलाम कर रहा है। वैज्ञानिकों की सूची मे राजस्थान के युवा भी शामिल रहे। नागौर के काडीडवाना के डाकीपुरा गांव की सुनीता भी इस मिशन का एक अभिन्न हिस्सा रही।
जानकारी के अनुसार, सुनिता ने गांव के सरकारी विद्यालय में कक्षा 8 तक शिक्षा हासिल की थी। इसके बाद कक्षा 9 की पढ़ाई करकेड़ी गांव के सरकारी विद्यालय में की थी। कक्षा 10 से 12 तक की पढ़ाई कुचामन के निजी विद्यालय से करने के बाद के बाद उन्होंने अजमेर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। 2013 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2017 में अहमदाबाद के अंतरिक्ष उपयोग केंद्र में उन्हें काम करने का मौका मिला।
इसके बाद सुनीता को इसरो के चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा बनाया गया। आपकों ये भी बता दें कि साल 2015 में उनकी शादी हुई थी। शादी के बाद भी पढ़ाई करना जारी रखा। वो देश के लिए कुछ करना चाहती थी। सुनिता रोजाना 12 से 13 घंटे तक पढ़ाई करती थी। सुनीता का कहना है कि मैं सफलता का श्रेय अपने परिवार और ससुराल वालों को देना चाहूंगी। शादी होने के बावजूद भी पढ़ाई के लिए मुझे सपोर्ट किया। उनकी कामयाबी पर पूरा परिवार और गांव गर्व महसूस कर रहा है। सुनिता के घर के साथ अपने करियर को भी संभाला है।
राजस्थान की बेटी सुनिता ने चंद्रयान-3 लैंडर के सेंसर को बनाने में योगदान दिया है। सेंसर का मुख्य काम चंद्रयान की गति और ऊंचाई बताना था। इसकी सारी गतिविधि को लेकर जो भी प्रोग्राम बनते हैं, वह सेंसर के माध्यम से ही बनते हैं। यहीं सेंसर इसरो के वैज्ञानिकों को सारी सूचना देता है।